Tuesday, 14 April 2015

तेरे बिन कुछ भी नहीं..........

धुंआ था धुंध थी दिखता नहीं था
तभी तो आपको देखा नही था।
मिला न वो जिसे सोचा था मैने
मिला है वो जिसे सोचा नहीं था।
नजर खुद बोलती थी हर जुबां मे
जुबां से मै कभी कहता नही था
जो पाया था नही वह पास मेरे
वही है पास जो पाना नहीं था
सिसक थी आह थी गम था तडप थी
सफर मे मै कभी तन्हा नही था
वह मुझसे दूर है तो कुछ नहीं है
वह मेरे पास था तो क्या नहीं था
मै क्यों न छोड देता शहर उनका
किसी के अश्क ने रोका नहीं था

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