लोग जो डरे नही थे तलवार से
हार गये वो भी अपनो की खार से,,
जीत तो लेते तुझे हर हाल में
हार बैठे केवल तिरे इंकार से,,
हम तलाशते रहे तेरी खैर खबर
काश खैरयत मिलत़ी तेरी अखबार से,,
हाल दिल का तब सँभाला ना गया
राह जाते देख लिया जो बाज़ार से,,
बात कहीं तेरी हो तो मौज है
आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,