Monday 30 May 2016

आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,

लोग जो डरे नही थे तलवार से
हार गये वो भी अपनो की खार से,,

जीत तो लेते तुझे हर हाल में
हार बैठे केवल तिरे इंकार से,,

हम तलाशते रहे तेरी खैर खबर
काश खैरयत मिलत़ी तेरी अखबार से,,

हाल दिल का तब सँभाला ना गया
राह जाते देख लिया जो बाज़ार से,,

बात कहीं तेरी हो तो मौज है
आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,

लोग जो डरे नही थे तलवार से.............

लोग जो डरे नही थे तलवार से
हार गये वो भी अपनो की खार से,,

जीत तो लेते तुझे हर हाल में
हार बैठे केवल तिरे इंकार से,,

हम तलाशते रहे तेरी खैर खबर
काश खैरयत मिलत़ी तेरी अखबार से,,

हाल दिल का तब सँभाला ना गया
राह जाते देख लिया जो बाज़ार से,,

बात कहीं तेरी हो तो मौज है
आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,

नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है..........

कितनी जल्दी यह मुलाकात गुज़र जाती है ...
प्यास बुझती नहीं कि बरसात गुज़र जाती है ...
अपनी यादों से कह दो की यूँ ना आया करें ...
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है..........

Friday 27 May 2016

आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है..........

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है,
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...

जहाँ, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया,
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है...

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर,
आजकल हसरतों पर ध्यान कौन रखता है...

बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को,
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है...