Friday 7 August 2020

राह संघर्ष की जो चलता है

राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है।
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है।

मन नही करता

मन नही करता
कभी नींद आती थी..
आज सोने को “मन” नही करता,
कभी छोटी सी बात पर आंसू बह जाते थे..
आज रोने तक का “मन” नही करता,
जी करता था लूटा दूं खुद को या लुटजाऊ खुद पे
आज तो खोने को भी “मन” नही करता,
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को..
लेकिन आज मुह खोलने को “मन” नही करता,
कभी कड़वी याद मीठे सच याद आते हैं..
आज सोचने तक को “मन” नही करता,
मैं कैसा था? और कैसा हो गया हूं
लेकिन आज तो यह भी सोचने को “मन” नही करता।