Saturday 30 September 2017

रावण बनना भी कहां आसान..

*रावण बनना भी कहां आसान...*

रावण में अहंकार था
तो पश्चाताप भी था

रावण में वासना थी
तो संयम भी था

रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी
तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था

सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत थी
पर पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी

राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, सब "बाहर" रखता था...!!

महसूस किया है कभी
उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से
बारबार पूछ रहा था.....
*"तुम में से कोई राम है क्या ❓"*
😡

Tuesday 12 September 2017

हर शख़्स बेचारा नहीं होता.......

इक रोज़ कलम लाएंगी बदलाव की सूरत
शब्दों से खतरनाक शरारा नहीं होता

तहजीब,अदब और सलीका भी तो कुछ है
झुका हुआ हर शख़्स बेचारा नहीं होता

Thursday 7 September 2017

कभी किसी नदी में समंदर नहीं गिरता.....

हालात के कदमों पर सिकंदर नहीं झुकता;
टूटे भी तारा तो ज़मीं पर नहीं गिरता,
गिरती हैं बड़े शौक से समंदर में नदियां;
कभी किसी नदी में समंदर नहीं गिरता