Monday, 30 March 2015

जो लडकिया लव के चककर मे पडकर अपने माँ-बाप को छोडकर घर से भाग जाती है मै उन लडकीयो के लिए कुछ कहना चाहुंगा..

जो लडकिया लव के चककर मे पडकर अपने माँ-बाप को छोडकर घर से भाग जाती है
मै उन लडकीयो के लिए कुछ कहना चाहुंगा..
बाबुल की बगिया में जब तू , बनके कली खिली,
तुमको क्या मालूम की, उनको कितनी खुशी मिली ।
उस बाबुल को मार के ठोकर, घर से भाग जाती हो,
जिसका प्यारा हाथ पकड़ कर, तुम पहली बार
चली ॥
तूने निष्ठुर बन भाई की, राखी को कैसे भुलाया,
घर से भागते वक़्त माँ का आँचल याद न आया ?
तेरे गम में बाप हलक से, कौर निगल ना पाया,
अपने स्वार्थ के खातिर, तूने घर में मातम फैलाया ॥
वो प्रेमी भी क्या प्रेमी,
जो तुम्हें भागने को उकसाये,
वो दोस्त भी क्या दोस्त, जो तेरे यौवन पेललचाये ।
ऐसे तन के लोभी तुझको, कभी भी सुख ना देंगे,
उलटे तुझसे ही तेरा, सुख चैन सभी हर लेंगे ॥
सुख देने वालो को यदि, तुम दुःख दे जाओगी,
तो तुम भी अपने जीवन में, सुख कहाँ से पाओगी?
अगर माँ बाप को अपने, तुम ठुकरा कर जाओगी,
तो जीवन के हर मोड पर, ठोकर
ही खाओगी ॥
जो - जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है,
अपनी गलती पर, रो-रोकर अश्क बहाती है ।
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है,
हुईं भयानक भूल, सोचकर अब पछताती है ॥
जिंदगी में हर पल तू, रहना सदा ही जिन्दा,
तेरे कारण माँ बाप को, ना होना पड़े शर्मिन्दा ।
यदि भाग गई घर से तो, वे जीते जी मर जाएंगे,
तू उनकी बेटी है यह, सोच - सोच पछताए।।

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