Monday 20 April 2015

डर है कहीं गगन बिक न जाए.........

बिक रहा है पानी,पवन बिक न जाए ,
बिक गयी है धरती, गगन बिक न जाए...

चाँद पर भी बिकने लगी है जमीं ,
डर है की सूरज की तपन बिक न जाए...

हर जगह बिकने लगी है स्वार्थ नीति,
डर है की कहीं धर्म बिक न जाए...

देकर दहॆज ख़रीदा गया है अब दुल्हे को ,
कहीं उसी के हाथों दुल्हन बिक न जाए...

हैं हर काम की रिश्वत ले रहे ये नेता ,
कही इन्हीं के हाथों वतन बिक न जाए...

सरे आम बिकने लगे अब तो सांसद ,
डर है की कहीं संसद भवन बिक न जाए...

आदमी मरा तो भी आँखें खुली हुई हैं
डरता है मुर्दा भी, कहीं कफ़न बिक न जाए॥

किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है???

किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?

जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?

कितने खायें है धोखे इन राहों में!

फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?

हम बर्बाद होते चले गये.....

वो दर्द दे दे के रुलाते रहे हम रोते चले गये,
उसके हसीन सपनों में सोते चले गये।
वो हँस हँस के देखते रहे बरबादियाँ मेरी
उसी हँसी के लिए हम बर्बाद होते चले गये.....

Sunday 19 April 2015

पलकों पे आकर रुक जाते हैं ये आँसू

पलकों पे आकर रुक जाते हैं ये आँसू !
तन्हाई पाकर बह जाते हैं ये आँसू....!!
बहुत सोचा थोरा गम बाँट लूँ आपसे !
पर आप को हँसता देख कर सुख जाते हैं ये आँसू !

Friday 17 April 2015

मैं तो झोंका हूँ हवा का.............

मैं तो झोंका हूँ हवा का, सब उड़ा ले जाऊँगा,
तू जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा...

हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा,
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा...

कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक,
ये पता चलने से पहले, तुझे पटा ले जाऊँगा...

कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब,
मिटते-मिटते भी मिटने का मजा ले जाऊँगा...

हैं सिर्फ शोहरतें...
जिनकी वजह से दोस्त-दुश्मन हो गए सब,
ये सब रह जायेंगी यहीं,
मैं खाली था मैं खाली हूँ,
साथ क्या ले जाऊँगा॥

हम ही में थी न कोई बात.........

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ हम  सके;
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके;

तुम ही न सुन के अगर क़िस्सा-ए-ग़म सुनेगा कौन;
किस की ज़बान खुलेगी फिर हम न अगर सुना सके;

होश में आ चुके थे हम जोश में आ चुके थे हम;
बज़्म का रंग देख कर सर न मगर उठा सके;

रौनक़-ए-बज़्म बन गए लब पे हिकायतें रहीं;
दिल में शिकायतें रहीं लब न मगर हिला सके;

शौक़-ए-विसाल है यहाँ लब पे सवाल है यहाँ;
किस की मजाल है यहाँ हम से नज़र मिला सके;

अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल; कौन तेरी तरह हफ़ीज दर्द के गीत गा सके।

.......क्या खुदा भि उसका था ??????

मंजिले भि उसकी थी,
रास्ता भि उसका था;
एक हम ही अकेले थे,
काफिला भि उसका था;
साथ चलने कि जिदृ भि उसकी थी,
रास्ता बदलने का फैसला भि उसका  था;
आज अकेले हैं ..दिल सवाल करता है..
लोग तो उसके थे, ..क्या खुदा भि उसका था ????
♡♥

हम वही हैं जो एक बेवफा से वफ़ा का इजहार कर बैठे थे....

जुल्फों को बादल ,आँचल को झरना ,मोहब्बत को काम समझ बैठे थे
लोगों ने दीवाना क्या कह दिया हम उसे अपना नाम समझ बैठे थे

मेरी जिंदगी के उजाले तेरे हिस्से में आये तो क्या गम है
हम ही तो थे जो तेरे अंधेरों से प्यार कर बैठे थे

मुडती रही राह इस कदर फिर भी नादान इतना समझ न पाए
कि वापस वहीं आ पहुचेंगे जहाँ से आगाज कर बैठे थे

मेरे लफ्जों का गुलदस्ता तेरे घर पहुंचे तो याद करना
हम वही हैं जो एक बेवफा से वफ़ा का इजहार कर बैठे थे....

Tuesday 14 April 2015

महोब्बत को जब लोग खुदा मानते हैं..

महोब्बत को जब लोग खुदा मानते हैं..

तो प्यार करने वालो को क्युँ बुरा मानते है.

जब जमाना ही पत्थर दिल है..

तो फिर पत्थरों से लोग क्युँ दुआ माँगते है..

अपनी पलकें वो बंद रखती है,

अपनी पलकें वो बंद रखती है,

जाने कैसी पसंद रखती है

मारी जायेगी देखना एक दिन,

क्यों दिल-ए-दर्दमंद रखती है,

साथ वाले ख़फ़ा ,खता है ये

क्यों इरादे बुलंद रखती है,

धूप से सामना न हो जाये कहीं,

घर के दरवाज़े बंद रखती है..

प्यार में सौदा नहीं....

मैंने एक दिन अपने दिल से कहा -

तुम उसे याद क्यों करते हो

जो तुम्हें याद नहीं करता ,…

दिल ने पलट कर जवाब दिया ---

अरे यार मुहब्बत करने वाले

कभी मुकाबला नहीं करते !!!!


तेरे बिन कुछ भी नहीं..........

धुंआ था धुंध थी दिखता नहीं था
तभी तो आपको देखा नही था।
मिला न वो जिसे सोचा था मैने
मिला है वो जिसे सोचा नहीं था।
नजर खुद बोलती थी हर जुबां मे
जुबां से मै कभी कहता नही था
जो पाया था नही वह पास मेरे
वही है पास जो पाना नहीं था
सिसक थी आह थी गम था तडप थी
सफर मे मै कभी तन्हा नही था
वह मुझसे दूर है तो कुछ नहीं है
वह मेरे पास था तो क्या नहीं था
मै क्यों न छोड देता शहर उनका
किसी के अश्क ने रोका नहीं था

Monday 13 April 2015

मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं होती !!!!

इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती,

दिल के जज्बात की आवाज नहीं होती,

आँखें बयां कर देती है दिल की दास्तान

मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं होती .........

इश्क़ किया तुझसे.......-.-

इश्क़ किया तुझसे, मेरे ऐतबार की हद थी;

इश्क़ में दे फि जान, मेरे प्यार की हद थी;

मरने के बाद भी खुली थी आँखें, ये मेरे इंतज़ार की हद थी...........!

आँखें खुली हो तो चेहरा तुम्हारा हो.....

आँखें खुली हो तो चेहरा तुम्हारा हो,

आँखें बंद हो तो सपना तुम्हारा हो,

मुझे मौत का डर ना होगा,

अगर कफ़न की जगह दुपट्टा तुम्हारा हो.......

दीवाना ! क्यों हुआ दीवाना ??????

प्यार तो जिंदगी का अफसाना है,

इसका अपना ही एक तराना है,

पता है सबको मिलेंगी सिर्फ आंसू,

पर ना जाने दुनिया में हर कोई क्यों इसका दीवाना है.....

आज फिर उनकी याद आई.......

मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं;

जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं;

जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें;

मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।

Sunday 12 April 2015

This message dedicated to my one and only my heartiest, my dream, my everything who doesn't know me till now......

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए
अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं
बहोत चाहने वाले मिल जायेंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम
कंवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे
दर्पन तुम्हे जब डराने लगे
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है, झुका ही रहेगा, तुम्हारे लिए
कोई शर्त होती नहीं प्यार में
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा
बुझाने लगी आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो
अंधेरो में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है, जला ही रहेगा तुम्हारे लिए...

क्यों हैं हम इतने अन्जान से.....

एक मुद्दत से हूँ मै परेशान सा,

कोई मिलता नही एक इंसान सा...

मेहरबानी अपनों की ऐसी हुई,

अपने घर में ही रहता हूँ अनजान सा॥

सारे अरमान जिसमें दफन हो गये,

दिल उजड़ा है ऐसा शमशान सा...

अब तो कातिल भी इतने हुनरमन्द हैं,

लोग कहते हैं उनको भगवान सा॥

मै हकीकतों से नजरें फेरे रहा,

वह समझते रहे मुझको नादान सा...

इस तरह कैसे होगा मुकम्मल सफर,

तुम भी अन्जान सी मै भी अन्जान सा॥


woh mil jaate hain..............

woh mil jaate hain kahani ban kar,

dil me bas jaate hain nishani ban kar,

jinhe hum rakhte hain apni aankhon me

kyun nikal jaate hain wo pani ban kar....

Barish ki bundo ko apni hateli

Barish ki bundo ko apni hateli mai sametkar dekho,
Jitni bunde tum samet paye utna yaad tum hame karte ho,
Jitni bunde gir gai utna yaad ham tumhe karte hai.

Agar tum na hote to gazal kaun kehta

Agar tum na hote to gazal kaun kehta
Tumhare chahre ko kamal kaun kehta
Yeh to karishma hai mohobbat ka
Varna patthor ko taj mahal kaun kehta…….

ऐसा क्यूँ है......

Na jaane aap par itna yakeen kyu hai
Aap ka khayal bhi itna haseen kyu hai
Kehte hai pyar ka dard mitha hota hai
To phir aankh se nikla aansu itna namkeen kyu hai

Tumhara muskurahat

Tumhara muskurahat tum sabko dedo...

Lekin tumhara pyaar sirf mujhe dedo...

Tumhara haseen tum sabko dikado...

Lekin tumhara wafa sirf mujhe dikado...

Tumhara khushi tum sabse baatlo...

Lekin tumhara gham sirf mujhse baatlo..

Saturday 11 April 2015

तेरा चेहरा जब नजर आये.....


ख्याल में आता है जब भी उसका चेहरा;
तो लबों पे अक्सर फरियाद आती है;
भूल जाता हूँ सारे गम और सितम उसके;
जब भी उसकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है।

मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं....

मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं;

जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं;

जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें;

मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।

शायद जिन्दगी इसी को कहते है........

दिल के टूटने पर भी हँसना,
शायद जिन्दादिली इसी को कहते हैं।
ठोकर लगने पर भी मंजिल के लिए भटकना,
शायद तलाश इसी को कहते हैं।
सूने खंडहर में भी बिना तेल के दिये जलाना,
शायद ऊम्मीद इसी को कहते हैं।
टूट कर चाहने पर भी उसे न पा सकना,
शायद चाहत इसी को कहते हैं।
गिरकर भी फिर से खडे हो जाना,
शायद हिम्मत इसी को कहते हैं।
उम्मीद, तलाश, चाहत, हिम्मत,
शायद जिन्दगी इसी को कहते है।

Saturday 4 April 2015

इन होठों पे एक बात है ….

इन होठों पे एक बात है ….
पर उसके कुछ लफ्ज़
अब भी किसी के पास हैं….
ख्वाहिशों की डोर में बँधे हुए
कुछ लफ्ज़ जो मेरे पास है…
लफ्ज़ जो किसी के ख़यालों में खोए हैं …
लफ्ज़ जो किसी के आँखों के खाब में
सदियों से सोए नहीं है ….
मेरे लफ़ज़ो का एहसास उनको भी है….
समय की देहलीज़ पे ये राज़
मेरे साथ- साथ अब उनका भी है …

आज फिर तेरे सामने खड़ा एक फकीर

उस जैसा मोती पूरे समंद्र में नही है,
वो चीज़ माँग रहा हूँ जो मुक़्दर मे नही है,
किस्मत का लिखा तो मिल जाएगा मेरे ख़ुदा,
वो चीज़ अदा कर जो किस्मत में नही हैं...…

Wednesday 1 April 2015

ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही.....

गलतियों से जुदा
तू भी नही,
मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !
तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही ... !!
ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!

ना खोया है कुछ, न कुछ पाया है ,.,

ना खोया है कुछ, न कुछ पाया है ,.,
एक शुन्य हूँ मै .,.,
जिसका कोई अस्तित्व ही नही है अकेले में.,
पर मुझे इस पर गम नही ,
क्यों ?
कि दुनिया का आधार हूँ .,.,
मै शुन्य हूँ .,. ©

मत करों नफरत कीसीको ईतनी की .....

मत करों नफरत कीसीको ईतनी की,
ये वक्त के फासलों पर आपको अफसोस हो जाये,
कल क्या पतां आप मिस करें और वो हमेंशा के मिस हो जायें.....

ये तन्हाइयां ......

ये तन्हाइयां ये रातो की खामोशिया
तेरी यादो को सात में लाती है
और जब जब मेरी रात तेरी यादो का साथ देती है
तब तब मेरी जीतेजी फिर मौत होती है..||