यादों को तेरी हमने खोने ना दिया।
गमों को भी चुप होने ना दिया।
आँखे तो आज भी भर आई तेरी याद में।
पर तेरी दि हुई कसम ने हमें रोने ना दिया।
I am amit blessing who is a fun and loving guy who does not believe in any religion only in trust.... and really i think from my heart and also want to do even personal or professional.
यादों को तेरी हमने खोने ना दिया।
गमों को भी चुप होने ना दिया।
आँखे तो आज भी भर आई तेरी याद में।
पर तेरी दि हुई कसम ने हमें रोने ना दिया।
लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता,
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता……!!
किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में,
यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता……….!!
अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर,
अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता……..!!
इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती
अगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता…!!
दोस्ती फूल से करोगे तो महक जाओगे,
मदिरा से करोगे तो बहक जाओगे,
सावन से करोगे तो भीग जाओगे,
हमसे करोगे तो बिगड़ जाओगे,
और नहीं करोगे तो किधर जाओगे.
बिक रहा है पानी,पवन बिक न जाए ,
बिक गयी है धरती, गगन बिक न जाए...
चाँद पर भी बिकने लगी है जमीं ,
डर है की सूरज की तपन बिक न जाए...
हर जगह बिकने लगी है स्वार्थ नीति,
डर है की कहीं धर्म बिक न जाए...
देकर दहॆज ख़रीदा गया है अब दुल्हे को ,
कहीं उसी के हाथों दुल्हन बिक न जाए...
हैं हर काम की रिश्वत ले रहे ये नेता ,
कही इन्हीं के हाथों वतन बिक न जाए...
सरे आम बिकने लगे अब तो सांसद ,
डर है की कहीं संसद भवन बिक न जाए...
आदमी मरा तो भी आँखें खुली हुई हैं
डरता है मुर्दा भी, कहीं कफ़न बिक न जाए॥
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?
वो दर्द दे दे के रुलाते रहे हम रोते चले गये,
उसके हसीन सपनों में सोते चले गये।
वो हँस हँस के देखते रहे बरबादियाँ मेरी
उसी हँसी के लिए हम बर्बाद होते चले गये.....
पलकों पे आकर रुक जाते हैं ये आँसू !
तन्हाई पाकर बह जाते हैं ये आँसू....!!
बहुत सोचा थोरा गम बाँट लूँ आपसे !
पर आप को हँसता देख कर सुख जाते हैं ये आँसू !
मैं तो झोंका हूँ हवा का, सब उड़ा ले जाऊँगा,
तू जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा...
हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा,
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा...
कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक,
ये पता चलने से पहले, तुझे पटा ले जाऊँगा...
कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब,
मिटते-मिटते भी मिटने का मजा ले जाऊँगा...
हैं सिर्फ शोहरतें...
जिनकी वजह से दोस्त-दुश्मन हो गए सब,
ये सब रह जायेंगी यहीं,
मैं खाली था मैं खाली हूँ,
साथ क्या ले जाऊँगा॥
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ हम सके;
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके;
तुम ही न सुन के अगर क़िस्सा-ए-ग़म सुनेगा कौन;
किस की ज़बान खुलेगी फिर हम न अगर सुना सके;
होश में आ चुके थे हम जोश में आ चुके थे हम;
बज़्म का रंग देख कर सर न मगर उठा सके;
रौनक़-ए-बज़्म बन गए लब पे हिकायतें रहीं;
दिल में शिकायतें रहीं लब न मगर हिला सके;
शौक़-ए-विसाल है यहाँ लब पे सवाल है यहाँ;
किस की मजाल है यहाँ हम से नज़र मिला सके;
अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल; कौन तेरी तरह हफ़ीज दर्द के गीत गा सके।
मंजिले भि उसकी थी,
रास्ता भि उसका था;
एक हम ही अकेले थे,
काफिला भि उसका था;
साथ चलने कि जिदृ भि उसकी थी,
रास्ता बदलने का फैसला भि उसका था;
आज अकेले हैं ..दिल सवाल करता है..
लोग तो उसके थे, ..क्या खुदा भि उसका था ????
♡♥
जुल्फों को बादल ,आँचल को झरना ,मोहब्बत को काम समझ बैठे थे
लोगों ने दीवाना क्या कह दिया हम उसे अपना नाम समझ बैठे थे
मेरी जिंदगी के उजाले तेरे हिस्से में आये तो क्या गम है
हम ही तो थे जो तेरे अंधेरों से प्यार कर बैठे थे
मुडती रही राह इस कदर फिर भी नादान इतना समझ न पाए
कि वापस वहीं आ पहुचेंगे जहाँ से आगाज कर बैठे थे
मेरे लफ्जों का गुलदस्ता तेरे घर पहुंचे तो याद करना
हम वही हैं जो एक बेवफा से वफ़ा का इजहार कर बैठे थे....
महोब्बत को जब लोग खुदा मानते हैं..
तो प्यार करने वालो को क्युँ बुरा मानते है.
जब जमाना ही पत्थर दिल है..
तो फिर पत्थरों से लोग क्युँ दुआ माँगते है..
अपनी पलकें वो बंद रखती है,
जाने कैसी पसंद रखती है
मारी जायेगी देखना एक दिन,
क्यों दिल-ए-दर्दमंद रखती है,
साथ वाले ख़फ़ा ,खता है ये
क्यों इरादे बुलंद रखती है,
धूप से सामना न हो जाये कहीं,
घर के दरवाज़े बंद रखती है..
मैंने एक दिन अपने दिल से कहा -
तुम उसे याद क्यों करते हो
जो तुम्हें याद नहीं करता ,…
दिल ने पलट कर जवाब दिया ---
अरे यार मुहब्बत करने वाले
कभी मुकाबला नहीं करते !!!!
धुंआ था धुंध थी दिखता नहीं था
तभी तो आपको देखा नही था।
मिला न वो जिसे सोचा था मैने
मिला है वो जिसे सोचा नहीं था।
नजर खुद बोलती थी हर जुबां मे
जुबां से मै कभी कहता नही था
जो पाया था नही वह पास मेरे
वही है पास जो पाना नहीं था
सिसक थी आह थी गम था तडप थी
सफर मे मै कभी तन्हा नही था
वह मुझसे दूर है तो कुछ नहीं है
वह मेरे पास था तो क्या नहीं था
मै क्यों न छोड देता शहर उनका
किसी के अश्क ने रोका नहीं था
इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती,
दिल के जज्बात की आवाज नहीं होती,
आँखें बयां कर देती है दिल की दास्तान
मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं होती .........
इश्क़ किया तुझसे, मेरे ऐतबार की हद थी;
इश्क़ में दे फि जान, मेरे प्यार की हद थी;
मरने के बाद भी खुली थी आँखें, ये मेरे इंतज़ार की हद थी...........!
आँखें खुली हो तो चेहरा तुम्हारा हो,
आँखें बंद हो तो सपना तुम्हारा हो,
मुझे मौत का डर ना होगा,
अगर कफ़न की जगह दुपट्टा तुम्हारा हो.......
प्यार तो जिंदगी का अफसाना है,
इसका अपना ही एक तराना है,
पता है सबको मिलेंगी सिर्फ आंसू,
पर ना जाने दुनिया में हर कोई क्यों इसका दीवाना है.....
मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं;
जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं;
जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें;
मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।
कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए
अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं
बहोत चाहने वाले मिल जायेंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम
कंवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे
दर्पन तुम्हे जब डराने लगे
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है, झुका ही रहेगा, तुम्हारे लिए
कोई शर्त होती नहीं प्यार में
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा
बुझाने लगी आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो
अंधेरो में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है, जला ही रहेगा तुम्हारे लिए...
एक मुद्दत से हूँ मै परेशान सा,
कोई मिलता नही एक इंसान सा...
मेहरबानी अपनों की ऐसी हुई,
अपने घर में ही रहता हूँ अनजान सा॥
सारे अरमान जिसमें दफन हो गये,
दिल उजड़ा है ऐसा शमशान सा...
अब तो कातिल भी इतने हुनरमन्द हैं,
लोग कहते हैं उनको भगवान सा॥
मै हकीकतों से नजरें फेरे रहा,
वह समझते रहे मुझको नादान सा...
इस तरह कैसे होगा मुकम्मल सफर,
तुम भी अन्जान सी मै भी अन्जान सा॥
woh mil jaate hain kahani ban kar,
dil me bas jaate hain nishani ban kar,
jinhe hum rakhte hain apni aankhon me
kyun nikal jaate hain wo pani ban kar....
Barish ki bundo ko apni hateli mai sametkar dekho,
Jitni bunde tum samet paye utna yaad tum hame karte ho,
Jitni bunde gir gai utna yaad ham tumhe karte hai.
Agar tum na hote to gazal kaun kehta
Tumhare chahre ko kamal kaun kehta
Yeh to karishma hai mohobbat ka
Varna patthor ko taj mahal kaun kehta…….
Na jaane aap par itna yakeen kyu hai
Aap ka khayal bhi itna haseen kyu hai
Kehte hai pyar ka dard mitha hota hai
To phir aankh se nikla aansu itna namkeen kyu hai
Tumhara muskurahat tum sabko dedo...
Lekin tumhara pyaar sirf mujhe dedo...
Tumhara haseen tum sabko dikado...
Lekin tumhara wafa sirf mujhe dikado...
Tumhara khushi tum sabse baatlo...
Lekin tumhara gham sirf mujhse baatlo..
ख्याल में आता है जब भी उसका चेहरा;
तो लबों पे अक्सर फरियाद आती है;
भूल जाता हूँ सारे गम और सितम उसके;
जब भी उसकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है।
मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं;
जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं;
जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें;
मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।
दिल के टूटने पर भी हँसना,
शायद जिन्दादिली इसी को कहते हैं।
ठोकर लगने पर भी मंजिल के लिए भटकना,
शायद तलाश इसी को कहते हैं।
सूने खंडहर में भी बिना तेल के दिये जलाना,
शायद ऊम्मीद इसी को कहते हैं।
टूट कर चाहने पर भी उसे न पा सकना,
शायद चाहत इसी को कहते हैं।
गिरकर भी फिर से खडे हो जाना,
शायद हिम्मत इसी को कहते हैं।
उम्मीद, तलाश, चाहत, हिम्मत,
शायद जिन्दगी इसी को कहते है।
इन होठों पे एक बात है ….
पर उसके कुछ लफ्ज़
अब भी किसी के पास हैं….
ख्वाहिशों की डोर में बँधे हुए
कुछ लफ्ज़ जो मेरे पास है…
लफ्ज़ जो किसी के ख़यालों में खोए हैं …
लफ्ज़ जो किसी के आँखों के खाब में
सदियों से सोए नहीं है ….
मेरे लफ़ज़ो का एहसास उनको भी है….
समय की देहलीज़ पे ये राज़
मेरे साथ- साथ अब उनका भी है …
उस जैसा मोती पूरे समंद्र में नही है,
वो चीज़ माँग रहा हूँ जो मुक़्दर मे नही है,
किस्मत का लिखा तो मिल जाएगा मेरे ख़ुदा,
वो चीज़ अदा कर जो किस्मत में नही हैं...…
गलतियों से जुदा
तू भी नही,
मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !
तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही ... !!
ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!
ना खोया है कुछ, न कुछ पाया है ,.,
एक शुन्य हूँ मै .,.,
जिसका कोई अस्तित्व ही नही है अकेले में.,
पर मुझे इस पर गम नही ,
क्यों ?
कि दुनिया का आधार हूँ .,.,
मै शुन्य हूँ .,. ©
मत करों नफरत कीसीको ईतनी की,
ये वक्त के फासलों पर आपको अफसोस हो जाये,
कल क्या पतां आप मिस करें और वो हमेंशा के मिस हो जायें.....
ये तन्हाइयां ये रातो की खामोशिया
तेरी यादो को सात में लाती है
और जब जब मेरी रात तेरी यादो का साथ देती है
तब तब मेरी जीतेजी फिर मौत होती है..||
कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए
चढाऊँ क्या तुझे भगवन कि ये निर्धन का डेरा है
अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का झूठा है
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन कि ये निर्धन का डेरा है
अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का झूठा है
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का झूठा है
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का झूठा है
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है
चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है
अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का झूठा है
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का झूठा है
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का झूठा है
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है
चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है
तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है मेरा दर्पण
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण..
जो लडकिया लव के चककर मे पडकर अपने माँ-बाप को छोडकर घर से भाग जाती है
मै उन लडकीयो के लिए कुछ कहना चाहुंगा..
बाबुल की बगिया में जब तू , बनके कली खिली,
तुमको क्या मालूम की, उनको कितनी खुशी मिली ।
उस बाबुल को मार के ठोकर, घर से भाग जाती हो,
जिसका प्यारा हाथ पकड़ कर, तुम पहली बार
चली ॥
तूने निष्ठुर बन भाई की, राखी को कैसे भुलाया,
घर से भागते वक़्त माँ का आँचल याद न आया ?
तेरे गम में बाप हलक से, कौर निगल ना पाया,
अपने स्वार्थ के खातिर, तूने घर में मातम फैलाया ॥
वो प्रेमी भी क्या प्रेमी,
जो तुम्हें भागने को उकसाये,
वो दोस्त भी क्या दोस्त, जो तेरे यौवन पेललचाये ।
ऐसे तन के लोभी तुझको, कभी भी सुख ना देंगे,
उलटे तुझसे ही तेरा, सुख चैन सभी हर लेंगे ॥
सुख देने वालो को यदि, तुम दुःख दे जाओगी,
तो तुम भी अपने जीवन में, सुख कहाँ से पाओगी?
अगर माँ बाप को अपने, तुम ठुकरा कर जाओगी,
तो जीवन के हर मोड पर, ठोकर
ही खाओगी ॥
जो - जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है,
अपनी गलती पर, रो-रोकर अश्क बहाती है ।
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है,
हुईं भयानक भूल, सोचकर अब पछताती है ॥
जिंदगी में हर पल तू, रहना सदा ही जिन्दा,
तेरे कारण माँ बाप को, ना होना पड़े शर्मिन्दा ।
यदि भाग गई घर से तो, वे जीते जी मर जाएंगे,
तू उनकी बेटी है यह, सोच - सोच पछताए।।
कबीर के आधुनिक दोहे!
यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते:
नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात;
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात;
पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज;
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज;
भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास;
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास;
मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश;
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश;
बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान;
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान;
पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग;
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग;
फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर;
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर;
पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप;
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप!
दर्द कब किसका सगा हुआ
इसने भी उड़ जाना है एक दिन बनकर धुँवा,
भूल जा जो हुआ सो हुआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,
कब तक असर करेगी ज़माने की बद्दुआ
हर कोई यहाँ से गया जो था यहाँ आया,
हमेशा आग बुझने पर निकालता है धुँवा.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,
क्या हुआ गर तेरा कोई नहीं हुआ
जीतता वही है जो अकेला है जीया,
ख़ुशी पायी उसने जिसने गम को है पीया.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,
गीता ने कहा जो हुआ अच्छा हुआ,
फिर तू क्यूँ है सोच में डूबा हुआ ,
जीवन वरदान है भगवान का दिया हुआ.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,
कदम ना हटा पीछे जो आगे बढ़ा दिया,
ना डर तू दुनिया से ना कदम को तू डगमगा
तू ही है रौशनी तू ही है दीया
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ …
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का …
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ l
चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक
गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक …
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ…
Main bhi padhne jata toh kitna achha hota…
Kuchh ban kar main bhi dikhata to kitna achha hota.
Agar gareebi naa hoti itni humare desh mein…
Mujh jaisa har bacha bhar pet khana khata to kitna achha hota…
Apne umar ke bacho ko jab befikar khelte dekhta hu…
Kash mai bhi majduri na karke aise hi khelta to kitna acha hota…
Maa baba jab meri ek khwahish ke liye ek duje ka muh dekhte h
Toh sochta hoon main paida hi na hua hota to achha hota…
Jab maa ko bhukhe pet sona padta h hume rukhi sukhi khila kar…
Toh sochta hu main koi bada aadmi ban jata toh achha hota.
Jane kabse soya nahi hu main, sula do maa,
Aakar mere pas muje fir se loriya suna do maa,
Ansoo meri ankho mein jam se gaye hain,
Bhar ke dil mera mujhe ab rulaa do maa,
Bhuka hu main tere pyar bhare niwale ka,
Apne hatho se ek niwala khila do maa
Kese kese dard deke duniya rulane lagi h muje
Aanchal me leke muje inse nijah dila do maa
Koi nai h mera ye ehsaas dilane lagi h duniya
Thamkar hath apne hone ka ehsas dila do maa
इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती,
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती,
आँखें बयान कर देती हैं दिल की दास्ताँ,
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज़ नहीं होती!
रिश्ते खून के नहीं होते, रिश्ते एहसास के होते हैं;
अगर एहसास हो तो अजनबी भी अपने होते हैं;
और अगर एहसास ना हो तो अपने भी अजनबी हो जाते हैं।
अजीब था उनका अलविदा कहना !
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं!
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में,
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीँ !
प्यार में मैंने सब कुछ खोया सिर्फ तुझे पाने के लिए,
दुनिया से भी खूब लड़ा सिर्फ तुझे अपना बनाने के लिए,
आज नहीं तो कल अगर तूं मुझे भूल जाओगी,
तेरी यादों को हम जलायेंगे सिर्फ तुझे भुलाने के लिए |
गुलसन है अगर सफ़र जिंदगी का, तो इसकी मंजिल समशान क्यों है ?
जब जुदाई है प्यार का मतलब, तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है ?
अगर जीना ही है मरने के लिए, तो जिंदगी ये वरदान क्यों है ?
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल,
आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है ?
दूरियां बोहत हैं पर इतना समझ लो ,
पास रह कर ही कोई रिश्ता ख़ास नहीं होता ,
तुम दिल के पास इतने हो कि
दूरियों का एहसास नहीं होता ….
कुछ अरमान उन बारीश कि बुंद कि तरह होते है,जिनको छुने कि ख्वाहिश
में,हथेलिया तो गिली हो जाती ,
पर हाथ हमेशा खाली रह जाते हैं।।।
नज़र ने एक दिन नजर से उनको नजर मिलाते नजर को देखा नजर मिली जो नजर से उनकी नजर चुराते नजर को देखा...
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ …
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का …
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ l
चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक
गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक …
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ…
गहरी थी रात, लेकिन हम सोये नहीं,
दर्द बहुत था दिल में, लेकिन हम रोये नहीं,
काश कोई ये पूछ लेता कभी हमसे,
जाग रहे हो किसी के लिए, या किसी के लिए सोये ही नहीं.......!!
कहती है ये दुनिया बस अब हार मान जा,
उम्मीद पुकारती है बस एक बार और सही।।
ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है।।