Sunday, 27 November 2016

आँखों में आंसुओ को उभरने ना दिया.....

आँखों में आंसुओ को उभरने ना दिया, मिट्टी के मोतियों को बिखरने ना दिया,
जिस राह पे पड़े थे तेरे कदमो के निशान, उस राह से किसी को गुजरने ना दिया., मिट्टी के मोतियों को बिखरने ना दिया,
जिस राह पे पड़े थे तेरे कदमो के निशान, उस राह से किसी को गुजरने ना दिया.

Saturday, 8 October 2016

पत्थर को बोलने का हुनर देके जाऊँगा

अच्छे बुरे की खबर दे के जाऊँगा,
चेहरों को पढ़ने वाली नज़र दे के जाऊँगा,

यारों मैं इस ज़माने का वो संगतराश हूँ,
पत्थर को बोलने का हुनर देके जाऊँगा,

Monday, 30 May 2016

आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,

लोग जो डरे नही थे तलवार से
हार गये वो भी अपनो की खार से,,

जीत तो लेते तुझे हर हाल में
हार बैठे केवल तिरे इंकार से,,

हम तलाशते रहे तेरी खैर खबर
काश खैरयत मिलत़ी तेरी अखबार से,,

हाल दिल का तब सँभाला ना गया
राह जाते देख लिया जो बाज़ार से,,

बात कहीं तेरी हो तो मौज है
आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,

लोग जो डरे नही थे तलवार से.............

लोग जो डरे नही थे तलवार से
हार गये वो भी अपनो की खार से,,

जीत तो लेते तुझे हर हाल में
हार बैठे केवल तिरे इंकार से,,

हम तलाशते रहे तेरी खैर खबर
काश खैरयत मिलत़ी तेरी अखबार से,,

हाल दिल का तब सँभाला ना गया
राह जाते देख लिया जो बाज़ार से,,

बात कहीं तेरी हो तो मौज है
आपके बगैर सारे चर्चे बेकार से,,

नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है..........

कितनी जल्दी यह मुलाकात गुज़र जाती है ...
प्यास बुझती नहीं कि बरसात गुज़र जाती है ...
अपनी यादों से कह दो की यूँ ना आया करें ...
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है..........

Friday, 27 May 2016

आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है..........

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है,
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...

जहाँ, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया,
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है...

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर,
आजकल हसरतों पर ध्यान कौन रखता है...

बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को,
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है...

Thursday, 25 February 2016

क्यूँ सागर से यूँ जा जाके गंगाजल मिले.......

अपनी उल्झन में ही अपनी मुश्किलों के हल मिले,
जैसे टेढ़ी मेढ़ी शाखों पर भी रसीले फल मिले,
उसके खारेपन में भी कोई तो कशिश होगी ज़रूर
वरना क्यूँ सागर से यूँ जा जाके गंगाजल मिले.....

Thursday, 28 January 2016

कौन कहता है खामोशियां खामोश होती है...........

कौन कहता है खामोशियां खामोश होती है
जरूर इनमे कोई न कोई बात होती है
इन्हें कभी गौर से सुन कर देखना
क्या पता ये वह कह दे जिनकी आपको लफ्जों में तलाश होती है

Thursday, 7 January 2016

तेरी धड़कन हूँ तेरे दिल का अंदाज हूँ मैं......

तेरी धड़कन हूँ तेरे दिल का अंदाज हूँ मैं
तु मेरे योग्य कोई शौक सुहानी लिख दे
दिल के समझ मे मोहब्बत की कहानी लिख दे
जिन्दगी के नई मोड़ के आगाज हूँ मैं

Wednesday, 6 January 2016

आंधियों से न बुझूं ऐसा उजाला हो जाऊँ.......

आंधियों से न बुझूं ऐसा उजाला हो जाऊँ,
वो नवाज़े तो जुगनू से सितारा हो जाऊँ,
एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी सिफ़त दे मौला,
कोई प्यासा दिखे तो दरिया हो जाऊँ।

मयखाने सजे थे....

मयखाने सजे थे, जाम का था दौर,
जाम में क्या था, ये किसने किया गौर,

जाम में गम था मेरे अरमानो का,
और सब कह रहे थे एक और एक और.