पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है,
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...
जहाँ, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया,
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है...
हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर,
आजकल हसरतों पर ध्यान कौन रखता है...
बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को,
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है...
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