Sunday, 22 October 2017

उसे अच्छा  नही लगता....

जिस  गुलदान  को  तुम  आज   अपना  केहते  हो , उसका फूल  एक  दिन  हमारा  भी  था ,
वो  जो  अब  तुम  उसके  मुक्तार  हो  तो   सून  लो ,
उसे अच्छा  नही लगता ,

मेरी  जान  के  हक़दार  हो  तो  सुन  लो ,
उसे  अच्छा  नहीं  लगता !

वो   जो  अब  तुम  उसके  मुख्तार  हो  तो  सुन  लो ,
उसे  अच्छा नहीं  लगता ,

मेरी  जान  के  हक़दार  हो  तो  सुन  लो ,
उसे  अच्छा  नहीं  लगता ,
की  वो  जो  ज़ुल्फ़  बिखेरे  तो  बिख़िरी  ना  समझना ,
अगर  माथे  पे  आ  जाए  तोह  बेफिक्रि  ना  समझना ,
दरअसल  उसे  ऐसे  ही पसंद  है ,
उसकी  आज़ादी , उसकी  खुली  ज़ुल्फ़ों  में  बंद  है !

जानते  हो ,
जानते  हो  वो  अगर  हज़ार  बार  जुल्फें  ना  सवारे  तोह  उसका   गुज़ारा  नहीं  होता ,
वैसे  दिल  बोहोत  साफ़  है  उसका  इन्  हरकतों  में  कोई  इशारा  नहीं  होता .
खुदा  के  वास्ते , खुदा  के  वास्ते  उसे  कभी  रोक  ना  देना ,
उसकी  आज़ादी  से  उसी  कभी  टोक  ना  देना ,
अब  मैं  नहीं   तुम  उसके  दिलदार  हो  तोह  सुन  लो ,
उसे   अच्छा  नहीं  लगता.!!

                                                                   - ज़ाकिर खान

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