Tuesday, 12 September 2017

हर शख़्स बेचारा नहीं होता.......

इक रोज़ कलम लाएंगी बदलाव की सूरत
शब्दों से खतरनाक शरारा नहीं होता

तहजीब,अदब और सलीका भी तो कुछ है
झुका हुआ हर शख़्स बेचारा नहीं होता

0 comments:

Post a Comment